हर्ड इम्यूनिटी:: क्या सरकार के कदम इस ओर हैं..
हर्ड इम्यूनिटी:
क्या ये भारत हर्ड इम्यूनिटी संभव है?
जब तक कोरोना वायरस का कोई इलाज़ नहीं मिल जाता, तब तक सोशल डिस्टेंसिंग ही हमें बचा सकता है । ये बात सभी मान चुके है ।हम कब तक घरों में रह सकते है ये सवाल सब के मन में है। कोरोना को हारने का विकल्प क्या है?
कोरोना के मरीजों की पहचान बताना अपराध है ! क्यों ? यहां जानें।
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सरकार के हर प्रयास के बाद भी कोरोना अभी भी रुका नहीं है।इन्हीं प्रयासों के बीच "हर्ड इम्यूनिटी’ के ज़रिए इस वायरस को कंट्रोल करने की बात सामने आई।क्या है ये "हर्ड इम्यूनिटी"!!
आइए आसान भाषा में समझने का प्रयास करते हैं। अगर कोई बीमारी किसी बड़े समूह में फैल जाती है तो इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी से लड़ने में संक्रमित लोगों की मदद करती है। बहुत से लोग उस बीमारी से ‘इम्यून’ हो जाते हैं, मतलब उनमें प्रतिरक्षात्मक गुण विकसित हो जाता है और फिर उनको शरीर पर उस बीमारी से खतरा कम हो जाना जाता है।जब बहुत ज्यादा आबादी इम्यून हो गए तो फिर ये संक्रमण थम सकता है ।वैज्ञानिकों का एक समूह ये मानता है कि भुखमरी से लोगो को बचाने और डूबते इकोनॉमी को बचाने के लिए हमें रिस्क लेना होगा।लेकिन इससे बहुत सारे लोगों की जान को ख़तरा हो सकता है।इसपर भी विचार करना होगा क्युकी किसी समुदाय में कोविड-19 के ख़िलाफ़ ‘हर्ड इम्यूनिटी’ विकसित तब हो सकती है, जब तक़रीबन 60 फ़ीसद आबादी को कोरोना वायरस संक्रमित हो जाए और वे उससे लड़कर इम्युन हो जाए।
क्या ये भारत हर्ड इम्यूनिटी संभव है?
भारत में ज्यादा आबादी युवा कि है परन्तु फिर भी क्या ये खतरा लिए का सकता है ।क्या देश के बुज़ुर्ग , डायबिटीज़ या दिल की बीमारी झेल रही लोगों को ख़तरे में डाले बिना क्या ये संभव है?
हमने भले कि कोरोना संक्रमण के गति को कम किया है मगर खतरा अभी भी टाला नहीं है । हम विकल्प कि ओर जा रहे हैं। "हर्ड इम्यूनिटी" को विकसित करने के लिए संक्रमण को धीरे धीरे फैलना होगा । सरकार के तरफ से लिए जा रहे कदम से ये लग रहा है कि हम उस ओर जा रहे हैं। ट्रेन की सेवा प्रवासी मजदूरों के साथ स्टूडेंट के लिए शुरू हो रही है। आर्थिक गतिवधि भी पटरी पर लौट रही है । लोगो के लगातार अपने गृहराज्य में जाने का सिलसिला जारी है ।ऐसे में संक्रमण ज्यादा होगा मगर इसकी गति कम रहेगी ।ऐसा माना जा रहा है कि लोगो में सतर्कता है और लोग सेल्फ कुरांटाइन के महत्व को समझने लगे हैं। ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी की ओर धीरे धीरे जा सकते है ।मगर प्रक्रिया को अपनाने का सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक रूप से नहीं बताया गया है ।इस लिए हमें अभी भी ये मान कर चलना होगा कि कोरोना से बचाओ के लिए भारत में हर्ड इम्यूनिट की थ्योरी को अप्लाई नहीं किया जा रहा है। इसलिए अगर लॉकडाउन खुल भी जाता है तो हमें सोशल डिस्टेन्सिंग, मास्क , हाथ धोने जैसे बातो का ख़ास ध्यान रखना होगा। हम कोरोना से जीत पक्की है मगर वो हमारा कितना नुकसान करती है ये हम पर निर्भर है। Stay home ,stay safe ।
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कोरोना के पहले 30 दिन में हमारी क्या कहां थे ...और आज 50दिन बाद कहां है !!
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